चंद्रशेखर जोशी।
बॉलीवुड फिल्मों में पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही अलीशा खान को ब्रेक मिला है। वो जल्द ही एक नई फिल्म में नजर आएंगी। इस फिल्म में उनकी मुख्य भूमिका होगी और इसके लिए वो काफी तैयारी भी कर रही है। खासतौर पर अपने फिगर और एक्टिंग पर काफी ध्यान दे रही है। निर्देशक राकेश सब्बरवाल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि वे जल्दी ही अमेज़न प्राइम वेब सीरीज शुरू करने जा रहे हैं ।जिसकी कहानी ट्रेलर बेस पर आधारित है और इस वेब सीरीज में 10-10 मिनट के 10 एपिसोड है और अलीशा खान इसमें अहम किरदार निभा रही है और वे एक अच्छी अभिनेत्री हैं, उनमें बहुत प्रतिभा है ।
जाने-माने फिल्म निर्देशक और निर्माता राकेश सब्बरवाल का कहना है कि उत्तराखंड सरकार यदि फिल्म निर्माताओं को उत्तराखंड में फिल्मांकन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरह सुविधाएं प्रदान करें तो उत्तराखंड देश का सबसे अच्छा फिल्मांकन केंद्र बन जाएगा और यहां पर पर्यटन भी बढ़ेगा परंतु राज्य सरकार और उसके मंत्री घोषणाएं तो अनेक करते हैं परंतु धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है।
वे आज पत्रकारों से बात कर रहे थे।उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में एक भी ऐसा फिल्म निर्देशक और निर्माता नहीं है,जिसे राज्य सरकार ने राज्य में फिल्मांकन करने के एवज में सब्सिडी दी हो। राज्य सरकार उत्तराखंड में फिल्म शूटिंग करने वाले निर्माता-निर्देशक को सब्सिडी देने की घोषणा तो करती है,परंतु सब्सिडी नहीं देती है।
उन्होंने कहा कि हमने मसूरी और देहरादून में भागते रहो फिल्म की शूटिंग की थी।परंतु अब तक हमें कोई सब्सिडी नहीं मिली है, जबकि हमने सभी कागजात शासन में जमा किए हुए हैं ।उन्होंने कहा कि केवल घोषणाओं के जुबानी जमा खर्च से कुछ नहीं होने वाला है। घोषणाओं को धरातल पर उतारने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से फिल्मों की शूटिंग के लिए सबसे उपयुक्त जगह है । यदि राज्य सरकार ढंग से फिल्म निर्माताओं निर्देशकों को सुविधाएं प्रदान करें तो हम लोगों को विदेशों में शूटिंग के लिए नहीं जाना पड़ेगा।उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां हर एक को आकर्षित करती हैं । परंतु राज सरकार का रवैया सही नहीं लगता है । केवल कागजी घोषणाएं हो रही है ।
उन्होंने बताया कि वे अब तक एक दर्जन फिल्में बना चुके हैं । जिनमें एक हकीकत गंगा, भागते रहो, जर्नी ऑफ कर्मा ,वारियर सावित्री ,हम भी अगर बच्चे होते जैसी फिल्में आदि हैं। जिनमें हम भी अगर बच्चे होते और जर्नी ऑफ कर्मा जैसी फिल्मों को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं।